कवि सम्मलेन

कृपया हास्य को हास्य में ही लीजिये  !!
एक पकाऊ टाइप के कवि महोदय को कवि- सम्मलेन का आमंत्रण मिला !
लेकिन बदकिस्मती से सभी श्रोता आन्दोलन करने चले गए जब  सम्मलेन स्थल पर पहुंचे तो देखा कि वहां सिर्फ एक हंसमुखी किसान उन्हें सुनने के लिए बैठा हुआ था।
उस अकेले किसान  को देख कवि महोदय बड़े  निराश भाव से बोले- भाई, तुम तो एक ही हो। 
समझ में नहीं आता, अब मैं कविता - पाठ करूँ  या नहीं ?
किसान बोला - साहब, मेरे घर पर 20 बैल हैं। मैं उन्हें चारा डालने जाऊं और वहां एक ही बैल हो तो बाकी 19 बैल नहीं होने के कारण क्या उस एक बैल को उपवास करा दिया जाए ? 
किसान का बढ़िया जवाब सुन कवि महोदय  खुश हो गए और फिर मंच पर जाकर 2 घंटे तक कविता पाठ किया । सारी  पर्चियां खत्म होने पर कवि जी  बोले- भाई, तुम्हारी बैलों वाली  उपमा (उदहारण) मुझे बहुत पसंद आई। इसलिए मैंने तुम्हें अपनी सारी कवितायेँ सुनाई ? तुम्हें कैसी लगी ??
किसान बोला - आपको 19 बैलों की गैरहाजिरी में 20 बैलों का चारा एक ही बैल को नहीं डालना चाहिए था ?  
कवि महोदय वाह - वाही सुनकर बेहोश हैं ! 



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