मेरा परिचय !

मेरा परिचय :- मैं नरेंद्र दुबे , भुसावल ( महाराष्ट्र ) में अपने निज निवास में रहता हूँ , मेरे सौभाग्य से मेरे माता, पिता जो कि इटारसी ( मध्यप्रदेश ) में निवास करते हैं क्रमशः 76 वर्ष और 80 वर्ष की आयु में पूर्ण स्वस्थ्य हैं ! मेरे तीन भाई और एक बहिन हैं !
मैंने, होशंगाबाद से एमएससी ( गणित ) प्रथम श्रेणी , डिप्लोमा इन कप्म्यूटर साइंस ( A+) तथा MACT भोपाल से कम्प्यूटर प्रोग्रामिंग का कोर्स प्रावीण्यता सूचि के साथ किया है !
बचपन से ही चंचलता रग रग में समाई होने के कारण , ऊधम करना स्वाभाव बनता गया बस तब और अब में इतना ही फर्क है कि तब दुनिया को परेशान करने की सोचा करते थे और आज दुनिया को हंसाने की !
हंसी के महत्त्व को हमने बचपन से ही पहचान लिया था और जब शैतानी करने पर मार पड़ती थी तब हम इसका इलाज, अपने बाल सखाओं के साथ हंसी मजाक करके अपने दर्द को भुलाने के लिए किया करते थे ! मेरी बीएससी प्रथम वर्ष तक की पढ़ाई घिसट घिसट कर चल रही थी कि एक घटना जो कि हंसी मजाक के लिए की थी , हमारे गणित के प्रोफेसर श्री जी. सी. दुबे जी को रुला गयी और उन्होंने हमें स्टाफ रूम में बुलाकर कहा कि " नरेंद्र " नाम स्वामी विवेकानंद का भी था और मैं चाहता हूँ कि तुम हंसी के साथ साथ एक नेक इंसान भी बनो !
मित्रों , यही हमारी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट था , जो नरेंद्र 54 - 55 % बड़ी मुश्किल से ला पाता था उसने आखिर में कंप्यूटर साइंस में 96 % और कंप्यूटर प्रोग्रामिंग में 100 % का स्वाद चखा लेकिन हंसना नहीं छोड़ा , जब भी समय मिला मस्ती और हंसी मजाक पहले , मुंबई में रेलवे के लेखा विभाग में सहायक के रूप में 1989 में नौकरी लगी !
1991 में हमने बिना दहेज़ की शादी एक सुकन्या के साथ की , जिसने आज भी हंसी खुशी से इस तूफान को सम्हाला हुआ है और गर्व के साथ कहना पड़ रहा है कि हमारी छोटी मोटी बहस के अलावा कभी भी 7- 8 घंटे से अधिक की बोलचाल बंद नहीं हुयी और जब वे रूठती तो मैं, मना लिया करता और जब मैं रूठता तो मैं खुद ही मान जाया करता था !
मेरे दो बेटे हैं मेहुल ( 23 ) और नकुल ( 20 ) , मेहुल पुणे से BE (Mach) IV कर रहा है और नकुल मेरे पास रहकर एनीमेशन साइंस में पढ़ रहा है , मेहुल आगे चलकर विदेश जाने की प्लानिंग कर रहा है , यह देखकर नकुल ने तय किया है की वो मम्मी पापा के साथ ही रहेगा और नौकरी नहीं करेगा कोई बिजनेस करेगा ताकि हम दोनों के बुढ़ापे में विपत्ति के समय मम्मी पापा अकेले न रहें ! मेरे बच्चे भी मेरा देखा देखि मम्मी की घर के कामों में मदद करते हैं और मेरी पत्नी जी ने उन्हें रोटी बनाने से लेकर घर का हर काम करना सिखा दिया है , ताकि उनकी बीबियाँ भी खुश रह सकें !
सबसे अंत में यही कहना चाहता हूँ की " हंसना " बेहद जरुरी है और मैं अपनी पत्नी जी को रोज हंसी मजाक के किस्से सुनाकर सुलाता हूँ ! मैं आज तक किसी भी दवाखाने में भर्ती नहीं हुआ और नीचे अपना रूटीन बता रहा हूँ ताकि आप भी हास्य ऊर्जा को अपनाएं !
मेरे परम प्रिय , भगवान तुल्य मित्रों , वैसे तो आप सभी अंतर्यामी हैं , फिर भी कुछ मित्रों की उत्सुकता को ध्यान में रखते हुए , अपना रूटीन बता रहा हूँ !
मित्रों जैसा की सभी जानते हैं , मैं, रेलवे में सीनियर सेक्शन ऑफिसर ( एकाउंट्स ) के पद पर आसीन हूँ , और फेसबुक के लगभग 250 से अधिक समूहों के संचालक ,चीफ एडमिन , डिप्टी चीफ एडमिन और एडमिन के पद पर कब्ज़ा ( समूह संचालकों के अनुरोध स्वरूप ) कर रखा है !
दिन में आपकी तरह आठ घंटे की नींद न लेते हुए सिर्फ चार या पांच घंटे की लेकिन जोरदार नींद ( घुर्राटेदार ) लेता हूँ ! सुबह चार बजे जब पत्नी जी सोयी रहती हैं , तब सारे मित्रों के मेल , मेसेज और नोटिफिकेशन पढ़कर, अपनी पोस्ट बनाकर अपने मोबाइल में सेव करता हूँ , फिर मॉर्निंग वाक को निकल लेता हूँ , आकर प्यार से पत्नी जी को जगाकर नीम्बू पानी देता हूँ तब जाकर मुझे गरमागरम चाय मिलती है , दिन में कौन कौन से काम करने हैं और घर के सदस्यों के बारे में फेसबुक के बारे में चर्चा को निपटाते ही , पत्नी जी के साथ 1 घंटे घर के काम करता हूँ जैसे सब्जी काटना , फल छीलना और घर की साफ़ सफाई सम्बन्धी कार्य इसके बाद मिलती है फेसबुक वह भी आधे पौन घंटे के लिए , ऑफिस की तैयारी करके निकलता हूँ , फिर वहां अपना काम निपटाने के अलावा जब समय मिलता है चलते फिरते माइक्रो सेकंड में पोस्ट डालता हूँ ,सिर्फ सेटिंग ( Only for Me से Public ) किया और पोस्ट सबको , हा हा हा , अपने दोस्तों के साथ हंसी मजाक करते हुए काम निपटाता हूँ और मेरे साथ मेरे हास्य मित्र भी मुझे पोस्ट बनाकर भेजते रहते हैं उन्हें एडिट किया और चिपका दिया , शबरी के बेर की तरह , आपको चख कर ही फॉरवर्ड करता हूँ !
शाम को लौटते समय बाजार के काम निपटाकर ही घर आता हूँ और जब पत्नी जी, शाम की पूजा करती हैं तब मैं भी अपने भगवान तुल्य मित्रों की पूजा फेसबुक के जरिये से करता हूँ !
मैं समझता हूँ की आप कुछ ज्यादा ही पक गए होंगे ?
आपका दिन मंगलमय हो , हँसते रहिये, हँसाते रहिये !
कल का दिन किसने देखा है
आज का दिन भी खोऐ क्यों...
जिन घड़ियों में हँस सकते हैं
उन घड़ियों में रोऐं क्यों..!!
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समय बड़ा कीमती है यारों
तेज निकलता जाता है...
गुजर गया तो गुजर गया
लौट के फिर न आता है..!!
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गुंजाइश जब फूलों की हो
तो फिर कांटे बोऐं क्यों...
जहाँ जागने की ऋतु आऐ
उस ऋतु में हम सोऐं क्यों..!!

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