Admin ki Holi
नरेंद्र दुबे हंसमुखी
लो सुन लो .....एडमिन के मन की बात :-
अरे ! ओ , ग्रुप वालों कब है ? होली ??? कब ??
बहुत सुन रहे हैं कि, सरदार प्रहलाद की जगह होली में बैठेगा ?
हाँ , बैठेगा , लेकिन गुप द्रोहियों को गोद में लेकर ! हा हा हा !
कोई कह रहा था कि सरदार अपने कान में रंग भरकर , मुंह से पिचकारी चलाएगा ??
अब मुंह में से खैनी की पिचकारी ही निकलेगी , जो ग्रुप की जय नहीं बोलेगा !!
होली आ रही है , एडमिन ने हर ग्रुप में रंगों के कुएं खोद दिए हैं , वहां खूब रंग चिपकाएँ !
ग्रुप में हास्य शालीनता बनाये रखें ! एडमिन की मिटटी पलीद करते रहें ! हम भी नहीं सुधरने वाले !
होली की हार्दिक रंगीन सूखी शुभकामनायें ! जल बचाएं - जान बचाएं ! हँसते रहें , हँसाते रहें !
देश प्रेम की गंगा से होली खेलें !
वाह
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