हंसमुखी की आत्मा ?

यमराज जी ने एक दिन अपने दूत को बुलाया और आदेश दियाधरती पर जाओ और हंसमुखी की आत्मा को ले आओ !उसके दिन पूरे हो गए हैं.
यमदूत धरती पर गया और हंसमुखी की खोजबीन की ! उसे हंसमुखी तो मिल गया परंतु हंसमुखी के शरीर में उसकी आत्मा ढूंढे से भी नहीं मिली ?
यमदूत ने वस्तुस्थिति से यमराज को अवगत कराया.
यमराज नाराज होते हुए बोलेऐसा कैसे हो सकता है ? कोई भी जीवित प्राणी बिना आत्मा के तो धरती पर रह ही नहीं सकता. जाओ और ठीक से देखो. आजकल काम-धाम में मन नहीं लगता क्या तुम्हारा कि तुम्हें भी आज़ादी चाहिए ?
यमदूत वापस धरती पर गया परंतु उसे हंसमुखी की आत्मा अब भी नहीं मिली ?  वह बिना हंसमुखी की आत्मा लिए यमराज के पास जाने का साहस नहीं कर पाया ?  अचानक उसे नारद मुनि याद आए, जिन्हें संसार की समस्त बातों-घटनाओं का ज्ञान रहता है. यमदूत नारद मुनि की शरण में पँहुचा.
यह आदमी खाने कमाने के लिए करता क्या है ? नारद मुनि ने यमदूत से पूछा ?
पता नहीं कोई वाट्सएपिया बताता है तो कोई फेसबुकिया कहता है  - यमदूत ने बताया ?
तो यह बात है ? इसीलिए तुम्हें उसकी आत्मा उसके शरीर में नहीं मिली , जाओ और उसके पीसी और मोबाइल में ढूंढो ! ऐसों  की आत्मा वहीं होती है किसी ग्रुप में भटक रही होगी !!

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