माल्या पुराण !

नरेंद्र दुबे हंसमुखी
(चित्र गूगल से साभार )
वे बोली चलो भाग चलें , हमने कहा मालिया समझा है क्या ?
वे बोलीं :- ऐसा क्या ले गया , दिन भर गाते रहते हो ?
क्या तुम्हारा था , जो ले गया ??
हम बोले , बैंक और देश हमारा है , पगली सुन ...
थमा कर "नीम" हम को ,वो "चन्दन" ले गया..
वो अपने सारे कारोबार ,को समेट लंदन ले गया..
जो छाती ठोक कर कहते थे ,कि काला धन लाएंगे..
उन्ही की नाक के नीचे से ,सफेद धन भी ले गया..

उसी वक़्त  घर के बाहर से मोर्चा जा रहा था , चीयर्स लेडी , 
एयर होस्टेस और केलेंडर गर्ल्स और मुंह छिपाते नेताओं का !
मालिया तुम संघर्ष करो हम तुम्हारे साथ हैं ! 
 आखिर  " नमक - हराम " तो नहीं हैं , बेचारे !!!

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