JNU की शोले ?
( चित्र गूगल से साभार)
हास्य को हास्य में लीजिये :- सलीम - जावेद के डॉयलॉग अगर फिल्म होती !!!
JNU की शाला ( शोले )
मौसी: लेकीन बेटा, बुरा नहि मानना, इतना तो पूछना ही पडता है, कि लडके का खानदान क्या है, उसके लक्षण कैसे है, कमाता कितना है ?
दोस्त : कमाने का तो यह है मौसी , कि एक बार स्टाईपेंड बंद हो गयी तो ... कमाने भी लगेगा |
मौसी : स्टाईपेंड मतलब, बच्चा पढ रहा है ? इतनी कम उमर मे शादी ?
दोस्त : नही नही ये मैने कब कहा मौसी , लडका तो 29 साल का है , बार - बार एक ही क्लास में लटकता रहता है !
मौसी : हाय दैया, इतना बडा लडका ? और रहता कहाँ है, होस्टल में ?
दोस्त : वैसे रहता होस्टल में है पर कभी कभी पुलिस थाने में भी सोना पडता है !
मौसी : पुलिस थाने में ? तो क्या चोर है , मवाली है या गुंडा है ?
दोस्त : अरे नहीं मौसी ! चोर ना... ना मौसी वो तो क्रांतीकारी है , अपने ही घर से आज़ादी मांगता है , अब कभी कभी दोस्तों के साथ अफझल की समर्थन के नारे देता पकडा गया तो पुलिस उठा के ले जाती है !
मौसी : हाँ , बस यही एक कमी रह गयी थी | मतलब कि देशद्रोही है, वो ?
दोस्त : मौसी आप तो मेरे दोस्त को गलत समझ रही है | वो तो इतना सीधा और भोला है कि, आझादी के चक्कर में, उसे होश ही नही रहता की वो कौनसे देश का है |
मौसी : अरे बेटा , मुझ बुढीया को समझा रहे हो, मेरे बचपन में ही हम आझाद हो चुके है | अब कौनसी आझादी मांग रहा है?
दोस्त: बस मौसी , उसका पता चलते ही हम आप को खबर दे देंगे ?
मौसी : एक बात की दाद दुंगी बेटा, भले ही सौ बुराईया है, तुम्हारे दोस्त में फिर भी तुम्हारे मुंह से उस के लिए, तारिफ ही तारीफ निकलती है |
दोस्त : अब क्या करूँ मौसी....मौसी जी , " आप " तो जानती हैं . मेरा नाम "कजरी" वैसे ही नहीं पड़ा है ! तो ये रिश्ता मैं पक्का समझूँ ?
मौसी : भले ही बसंती कुंवारी मर जाये पर देश के दुश्मन से ब्याह कभी नहीं करुँगी और तुम भी पिटे कान से सुन लो कजरी , दुबारा मत पूछना ( चटाक - चटाक ) !!!
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