लालू जैसा पिता ?
हास्य को हास्य में ही लीजिये ? - " चार " बातों का महत्त्व !
बेटे ने पुस्तकें फेकते हुए कहा :- पापा कितना सही है यह कार्टून ? आपको भी लालू जी बन जाना चाहिए ?
हमने कहा :- " चार " दिन की चांदनी , फिर अँधेरी रात ?
अब तक बेटे के शरीर में उप मुख्यमंत्री की आत्मा घुस चुकी थी !
बेटा :- "चार" किताबें क्या पढ़ ली , मुख्यमंत्री समझने लगे खुद को नितीश बाबू ?
हमने समझाया :- बेटा , " चार " पैसे कमाओगे तब पता चलेगा ?
बेटा :- पापा , चार - चार सौ रूपये में बिकते हैं आज कल वोट ?
हमने कहा :- बेटा , " चार " लोगों में इज़्ज़त है हमारी ?
बेटा :- यहाँ भी " चार " गाड़ी आगे और "चार " पीछे रहती हैं !
हम :- अच्छा , " चार " दिन के मंत्री के ऐसे तेवर ?
बेटा :- पापा बस " चार " दिन ये सरकार टिक गयी न , फिर आपको " चार " बातें न सुनाई तो कहना ?
हम :- बेटा " चार " लोग सुनेंगे तो क्या कहेंगे ?
बेटा :- " चार " बोतल वोडका काम मेरा रोज का !
तभी पीछे से पत्नी जी चिल्लाई :- " चार " चमाट पड़ेगी यदि घर को तबेला बनाया तो ?
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