फेस्बुकिये कवि
मेरे हंसमुखी कवि मित्र कृपया बुरा न मानें ! उनके लिए नहीं है ? फेसबुक की कसम ?
कवि - इनसे कौन त्रस्त नहीं है ? दरअसल फेसबुक पर कुछ असली कवियों ने अकाउंट बना रखे हैं और (असली) कविताएँ डालते हैं. उनको लोग लाइक भी करते हैं और प्रशंसा भी करते हैं. लेकिन इसका साइड इफेक्ट यह हुआ है कि फेसबुक पर हर दिन भारी संख्या में कवि और शायर पैदा हो रहे हैं. ये कवि पाँच मिनट में कविता असेम्बल कर देते हैं. जिस विषय पर कहो उसी पर चिपका देते हैं , और इनकी कविता ऐसी कि दिनकर और निराला पढ़ लें तो गड्ढे में कूद के प्राण त्याग दें , सुना है भारत में ऐसे कवियों की संख्या में बढोतरी को देखते हुए चाइनीज कपनियां , कविता असेम्बल करने वाला सॉफ्टवेयर भी बना रही है. उसमें आप कहीं से कुछ लिखा हुआ कॉपी मार के पेस्ट कर दो और सॉफ्टवेयर उसको तुरंत प्रोसेसिंग करके कौमा, फुलस्टॉप और अलंकार सहित कविता में कन्वर्ट कर देगी , ये सॉफ्टवेयर आये तो , मैं भी इंस्टाल करूँगा !
उपाय: इनकी कविता को लाइक करके कमेंट जरुर कर दो नहीं तो ये आपको मेसेंजर पर भेज देंगे और कहेंगे कि पढ़के बताओ कैसी लगी. फिर आप को झख मारकर कहना पड़ेगा " वाह अति सुन्दर "
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें