मेरा मोबाइल




हास्य को  " आपबीती " भी  समझ लिया, तो हमें क्या ?
स्मार्ट फ़ोन आजकल जिन्दगी का रोटी , कपडा और मकान  बना हुआ है ,  यानि फेसबुक . व्हाट्सएप और इन्टरनेट ?
हम पत्नी जी को सुबह की चाय बनाकर दे रहे थे और हाथ में फोन पर फेसबुक खोलकर टुचुक - टुचुक ( किसी हंसमुखी एडमिन से चेटिंग ? ) चल रही थी , तभी पत्नी जी रसोई में आई और फ़ोन छीनने का प्रयास करने लगी। 
मैंने फ़ोन को उनकी पहुँच से दूर करते हुए कहा- 'मैं यह तुम्हें कैसे दे सकता हूँ ? यही तो मेरी जान है।'

पत्नी जी ने आँखें तरेरकर कहा :- अच्छा , यह तुम्हारी जान है तो , मैं क्या हूँ ?

मैंने मज़े लेते हुए  कहा :- " तुम मेरी जान ( मोबाइल ) की दुश्मन " और क्या ??

मुंह फुला लिया ??? ..अब ??

 "आप " ही बताइए कुछ  गलत कहा मैंने ???

 हँसते रहिये , हंसाते रहिये ! शुभ रात्रि !! 


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