स्नान ज्ञान

वैसे तो "आम आदमी" , श्री कजरी बाबू के मफलर पहनने के बाद ही ठण्ड की औपचारिक घोषणा होगी , लेकिन हमारे हंसमुखी चेनल के द्वारा पुरानी पोस्ट के माध्यम से " ठण्ड - ज्ञान" देना जरुरी है !

चोंच डुबा कर दो चार बूँदें हाथ में लेकर अपने ऊपर छिड़कने को "चंचु" स्नान कहते हैं..
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इससे भी श्रेष्ठ स्नान होता है "नल नमस्कार स्नान" जो शीतॠतु में नल को "नमस्कार" करके किया जाता है।
कई वीर साहस करके "नल" को "स्पर्श" कर लेते हैं। परंतु ज्ञानी जन दुस्साहस की वर्जना करते हैं। 
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इन सबसे सर्वश्रेष्ठ स्नान होता है। 

"जल स्मरण स्नान" इस स्नान में परम ज्ञानी जन अपने बिस्तर में बैठे बैठे "जल देवता" का स्मरण करके करते है। 

उपरोक्त स्नानों से निम्न लाभ होते हैं। (1) इन सभी स्नानों से जल बर्बाद नहीं होता है। 
(2) हम इन सभी स्नानों के माध्यम से बहुत बड़ी मात्रा में "अमूल्य जल" की बचत कर मानव मात्र की सेवा कर सकते हैं। 
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शीतॠतु में इस "चमत्कारी जल स्मरण स्नान" का यथा-संभव पुण्य-लाभ , हम रोज लेते हैं , आप सब भी लें... और अगला विश्व युद्ध , जो "पानी" के लिए होगा , उसे टालें .....
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इस शीतॠतु में आप भी इस मैसेज को आगे भेजकर "जल संरक्षण" के पुण्य कार्य में अपना अतुलनीय योगदान देकर पुण्य-लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

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