पंगत की याद
शादी का मौसम आते ही ये पुरानी पोस्ट चिपकाने का मन करता है ,
शादी मे बफेट खाने में वो आनंद नहीं आता , जो पहले पंगत में आता था ,
जैसे.... सबसे पहले साफ़ टाटपट्टी वाली जगह रोकना !
--फिर बिना फटे पत्तल - और बेलेन्स वाले दोनों का सिलेक्शन !
फिर पत्तल पे स्टील का ग्लास रखकर उसे उड़ने से रोकना !
--नमक रखने वाले को जगह बताना यहां रख ताकि मीठे में मिक्स न हो !
--दाल - सब्जी देने वाले को गाइड करना, " हिला के दे या तरी- तरी देना ! , आलू कम देना , मटर ज्यादा " , चावल थोड़े से !
उँगलियों के इशारे से 2 गुलाब जामुन लेना !
--पूरी छाँट छाँट के गरमा गरम लेना !
--पीछे वाली लाइन में झांक के देखना क्या क्या आ गया और इधर क्या बाकी है।
--जो बाकी है उसके लिए आवाज लगाना !
--अपने बगल बाले की पत्तल में जबरजस्ती गुलाबजामुन रखवाना !
-- नमक से उँगलियों का तेल छुड़ाना और नीम्बू को गिलास में निचोड़कर निम्बू पानी बनाना !
अब चलिए डकार मारिये , दूसरी पंगत भी बैठनी है ?
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