अवार्ड
एक नई दुल्हन का ससुराल में भव्य स्वागत हुआ। जब वो पहले दिन अपनी ससुराल पहुंची तो परिवार ने उससे दो शब्द कहने का आग्रह किया गया !
दुल्हन ने ये भाषण दिया ?
मेरे प्रिय परिजनों, मैं " पारिवारिक अवार्ड " नहीं हूँ , मैं व्हाट्सऐप और फेसबुक के कई ग्रुपों की एडमिन हूँ , मैं इस नए घर में अपने इतने शानदार स्वागत के लिए आप सबकी आभारी हूं, मैं अपनी उपस्थिति से यहां किसी के लिए कोई परेशानी खड़ी नहीं करना चाहती और न मैं ये चाहती हूं कि मेरे यहां रहने की वजह से आपको अपनी आदतें बदलनी पड़े। जो भी पहले जैसे रह रहा था वो वैसे ही रहता रहे।
घर के मुखिया ने कहा, हम आपकी बात समझे नहीं जरा खुलकर समझाओ बेटी ?
इस पर दुल्हन बोली, पिताजी मेरे कहने का मतलब ये था कि पहले से घर में जो खाना बना रहा था वो खाना बनाता रहे, जो बर्तन मांझ रहा था वो बर्तन मांझता रहे, जो कपड़े धो रहे थे वो कपड़े धोते रहे और घर की सफाई भी पहले जैसे ही होती रहे। जहां तक मेरा सवाल है मैं आपके हंसमुखी बेटे को अपनी मुट्ठी में करके रखूंगी और इस "अवार्ड" की वापसी की बात सपने में भी न सोचना ?
जय व्हाट्सऐप , जय फेसबुक !
दुल्हन ने ये भाषण दिया ?
मेरे प्रिय परिजनों, मैं " पारिवारिक अवार्ड " नहीं हूँ , मैं व्हाट्सऐप और फेसबुक के कई ग्रुपों की एडमिन हूँ , मैं इस नए घर में अपने इतने शानदार स्वागत के लिए आप सबकी आभारी हूं, मैं अपनी उपस्थिति से यहां किसी के लिए कोई परेशानी खड़ी नहीं करना चाहती और न मैं ये चाहती हूं कि मेरे यहां रहने की वजह से आपको अपनी आदतें बदलनी पड़े। जो भी पहले जैसे रह रहा था वो वैसे ही रहता रहे।
घर के मुखिया ने कहा, हम आपकी बात समझे नहीं जरा खुलकर समझाओ बेटी ?
इस पर दुल्हन बोली, पिताजी मेरे कहने का मतलब ये था कि पहले से घर में जो खाना बना रहा था वो खाना बनाता रहे, जो बर्तन मांझ रहा था वो बर्तन मांझता रहे, जो कपड़े धो रहे थे वो कपड़े धोते रहे और घर की सफाई भी पहले जैसे ही होती रहे। जहां तक मेरा सवाल है मैं आपके हंसमुखी बेटे को अपनी मुट्ठी में करके रखूंगी और इस "अवार्ड" की वापसी की बात सपने में भी न सोचना ?
जय व्हाट्सऐप , जय फेसबुक !
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