प्रेम पत्र




प्रेम पत्र नहीं है ?? 
डिअर ,
भुला दिया न तुमने !
मैं जानती थी , तुम सिर्फ मुझे उपभोग की वस्तु ही समझते रहे और मैं,.... मैं रात में भी तुम्हें गर्मी का एहसास दिलाती रही , अब तुमको मैं इतनी बुरी लगने लगी हूँ की धूप में पटक कर चले गए वो भी छत पर अकेला..? 
निर्दयता की हद हो गयी अब डंडे से पीट रहे हो , वो दिन याद करो, जब तुम दोनों भाई सिर्फ मेरे लिए झगड़ा करते थे ...
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तुम्हारी ही प्यारी हंसमुखी  " रजाई "
( मित्रों ठण्ड शुरू हो गई है ..स्वेटर , मफलर एवं रजाई को धूप अवश्य दिखा दें ..हा हा हा ,,मैंने तो ..
बस आपको याद दिलाया  है लेकिन आप की सोच को सलाम !
हँसते रहिये हँसाते रहिये ! 


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