प्रस्तुतकर्ता
Unknown
शर्मनाक या श्रद्धांजली ?
क्या फर्क रह गया इलेक्ट्रानिक मीडिया में और सोशल मीडिया ( फेसबुक ) में???
वो भी शहीदों के घरवालों के आँसू, उनकी विधवाओं की चूड़ी, उनके मासूम बच्चों की किलकारियाँ हमें दिखाकर हमारी भावनाओं को TRP का खेल बनाकर उन्हें सरे बाजार नीलाम करते हैं...भावना का जो खेल पिछले 15 साल पहले अपने सीरियल्स में बहुओं को लाचार और कमजोर बताकर , एकता कपूर ने शुरू किया था उसे अब मीडिया ने पकड़ लिया है...कल ही NDTV वाली बरखा दत्त पठानकोट हमले में शहीद हुए जवान के परिवार वालों के मुँह में माइक घुसेड़ के पूछ रही थी कि आपको कैसा लग रहा है??? खैर उनका तो काम ही यही है...पर 3 दिन से में सोशल मीडिया पर भी देख रहा हूँ...श्रद्धाजंली के नाम पर लोग शहीदों की रोती हुई माँओ, बेसुध विधवाओं, बिलखते हुए बच्चों की फोटो खूब पोस्ट कर रहे...और बहुत से लोग उसे धड़ल्ले से शेयर भी कर रहे...यहाँ तक की लोगों ने बिना कोई शर्म के उनकी पर्सनल सेल्फिज तक शेयर करने से परहेज नही किया...लोग कह रहे हैं कि हम उनके दर्द को समझते हैं...अगर सच में उनके दर्द को समझते तो आपका जमीर कभी उनके आंसुओं की फोटो शेयर करने की गवाही नही देता...
श्रद्धाजंली के नाम पर उन मासूमों के आंसुओं को लाइक्स और कमेंट्स का धंधा मत बनाओ यार...थोड़ी तो शर्म रखो....मुझमे इतनी हिम्मत कभी नही रही कि उनके बिलखते बच्चों की फोटोज शेयर कर सकूँ, भगवान कभी इतनी हिम्मत दे भी ना...दिल ने कभी गवाही नही दी इसकी...थोड़े संवेदनशील बनो यार...
श्रद्धाजंली स्वरूप उनकी फोटो पोस्ट करो...पर प्लीज़ उनके परिवार के आंसुओं को यूँ सरे बाजार नीलाम मत करो...दुःख होता है देखकर..!! नमन शहीदों को !
वो भी शहीदों के घरवालों के आँसू, उनकी विधवाओं की चूड़ी, उनके मासूम बच्चों की किलकारियाँ हमें दिखाकर हमारी भावनाओं को TRP का खेल बनाकर उन्हें सरे बाजार नीलाम करते हैं...भावना का जो खेल पिछले 15 साल पहले अपने सीरियल्स में बहुओं को लाचार और कमजोर बताकर , एकता कपूर ने शुरू किया था उसे अब मीडिया ने पकड़ लिया है...कल ही NDTV वाली बरखा दत्त पठानकोट हमले में शहीद हुए जवान के परिवार वालों के मुँह में माइक घुसेड़ के पूछ रही थी कि आपको कैसा लग रहा है??? खैर उनका तो काम ही यही है...पर 3 दिन से में सोशल मीडिया पर भी देख रहा हूँ...श्रद्धाजंली के नाम पर लोग शहीदों की रोती हुई माँओ, बेसुध विधवाओं, बिलखते हुए बच्चों की फोटो खूब पोस्ट कर रहे...और बहुत से लोग उसे धड़ल्ले से शेयर भी कर रहे...यहाँ तक की लोगों ने बिना कोई शर्म के उनकी पर्सनल सेल्फिज तक शेयर करने से परहेज नही किया...लोग कह रहे हैं कि हम उनके दर्द को समझते हैं...अगर सच में उनके दर्द को समझते तो आपका जमीर कभी उनके आंसुओं की फोटो शेयर करने की गवाही नही देता...
श्रद्धाजंली के नाम पर उन मासूमों के आंसुओं को लाइक्स और कमेंट्स का धंधा मत बनाओ यार...थोड़ी तो शर्म रखो....मुझमे इतनी हिम्मत कभी नही रही कि उनके बिलखते बच्चों की फोटोज शेयर कर सकूँ, भगवान कभी इतनी हिम्मत दे भी ना...दिल ने कभी गवाही नही दी इसकी...थोड़े संवेदनशील बनो यार...
श्रद्धाजंली स्वरूप उनकी फोटो पोस्ट करो...पर प्लीज़ उनके परिवार के आंसुओं को यूँ सरे बाजार नीलाम मत करो...दुःख होता है देखकर..!! नमन शहीदों को !
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