कभी फेसबुक पर , कभी व्हाट्सएप पर ,
कभी अर्श पर , कभी फर्श पर ,
कभी उनके दर , कभी दरबदर...
ऐ ज़िन्दगी , तेरी तलाश में हम ..
कहाँ कहाँ से गुज़र गए !
न हमें नींद आई , न तुम्हें चैन आया !
बना रहे थे , लड्डू , गुजिया भर मावा !
कल सब नहा धो-कर ग्रुप में पधारें !
एडमिन के लड्डू खाकर कर्ज उतारें !
शुभ रात्रि !
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