दिमाग खाना

हम अपनी शाम को फेसबुक के संग सुलझा रहे थे तभी हमारे फैमिली डॉक्टर टपक पड़े । पत्नी जी ने उनके सामने  मेरी शिकायत का पुलिंदा खोला ?
पत्नी - जरा देखना डॉक्टर साब !...फेसबुक के कारण  इनको भूख ही नहीं लगती है , दिनों दिन सींकिया पहलवान होते जा रहे हैं ।
डॉक्टर - क्यूँ हंसमुखी जी  , क्या बात है ? कुछ खाते क्यों नहीं ? 
हम - खाया है न , डॉक्टर साहब..! सुबह ब्रेड सेंडविच खाये, दोपहर को मटर पनीर खाया । शाम को गोलगप्पे खाये । फिर स्नेक्स खाये और अभी दो बार  डिनर किया है । इसके बाद इतनी ठंडी में आइसक्रीम भी खाई है ।
डॉक्टर -अरे ! बाप रे ! " आपने "  इतना कुछ गटक लिया  है फिर भी भाभी जी कह रही हैं ??
पत्नी - नहीं ! डॉक्टर साहब ,  ये सब कुछ , इनकी फेसबुक फ्रेंड्स ने  फेसबुक पर खिलाया है ।
पति - हाँ , तो जल क्यों रही हो ??  किसी का दिमाग तो नहीं खाया है जो तुम्हारी तरह " टुन-टुन " हो जाता ?

डॉक्टर साब , बेहोश होने से पहले निकल लिए , लेकिन " आप " बताइए ?  इतनी सी बात पर कोई मुंह फुलाता है क्या ???


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