शुभ रात्रि !

मित्रों ,वास्तव में यदि ईश्वर की पूजा करनी है तो गरीबों, असहायों, मज़लूमों की सेवा की जाए, मन्दिर या मस्जिद कहीं जाने की आवश्यकता नहीं है। कड़कड़ाती ठण्ड व शीतलहर अपने प्रचंड रूप में है , इससे उनको बचाने हेतु अपने घर में पड़े अतिरिक्त स्वेटर, शाल, कोट आदि वितरित करें ! यथासम्भव इन बेसहारों की मदद करें !गरीबों की सेवा से बढ़कर कोई पुण्य नहीं है। सच्ची हँसी केवल तब ही मिल सकती है , जबकि आप दूसरों के चेहरे पर हँसी देखें ! इसी तारतम्य में ठण्ड की अधिकता को देखते हुए ,अपनी पत्नीजी  के घरेलु कार्य में भी मदद करें , जो मित्र कुंवारें हें , वे अपनी माता जी का घर के कामों में हाथ बटाएं ...मेरे मित्र ही मेरे भगवान हैं , आशा ही नहीं बल्कि पूरा विश्वास है कि आप मेरी बातों को हँसी में नहीं उड़ाएंगे ..नरेंद्र दुबे  "हंसमुखी "


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