एडमिन , पार्टी की तय्यारी
एक समुद्री जहाज अचानक अपना संतुलन खोकर इधर उधर लहराने लगा.. शायद तूफ़ान आ रहा था ?
सभी यात्री अपनी मृत्यु को समीप जान डर के मारे चीखने चिल्लाने लगे , बचाओ ! बचाओ !
सिवाय एक बच्ची के जो मुस्कुराते हुए चुपचाप अपने खिलौने से खेल रही थी….
कुछ देर बाद जहाज सकुशल, सुरक्षित बंदरगाह पहुंचा और यात्रियों ने राहत की साँस ली..
एक यात्री ने उत्सुकतावश उस बच्ची से पूछा- “बेटा हम सभी डर के मारे काँप रहे थे ?
पर तुमको डर नहीं लग रहा था.. ऐसा क्यों ?
“बच्ची ने जवाब दिया- “क्योंकि इस जहाज के कैप्टन मेरे पापा हैं..
मैं जानती थी कि वो मुझे कुछ नहीं होने देंगे”.
मित्रो, ठीक इसी तरह का विश्वास हमे अपने एडमिन पर भी होना चाहिये…
“परिस्थितियाँ चाहे कितनी ही विपरीत हो जाऐं; पर एक ना एक दिन, एडमिन पार्टी जरूर देंगे ?
कोई बात नहीं " आप ' को भरोसा है , लेकिन ये पचास किलो गाजर कौन छीलेगा ???
कमेंट्स में बताइए और मेसेज बॉक्स में पाइए , " e - गाजर का हलुवा " ......सच्ची !!!
सबको हिसाब से मिलेगा ???
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें