संध्या ज्ञान

संध्या ज्ञान :- 
क्या यह सही है कि अब हंसमुख भाई " पकाऊ  होते जा रहे हैं ?
और  धनसुख भाई " बढते जा रहे  हैं,
इधर  
मनसुखभाई " भी कम होते जा रहे हैं,
पता नहीं " शांतिलालभाई " तो कही भी नहीं दिखते , लेकिन मांगीलाल सर्वत्र पाए जा रहे हैं !
देवीलाल जी कहाँ - कहाँ झांक रहे हैं ??
ये बात जिनको समझ में आयी उनको
" वंदन "  
ना समझे उनका हार्दिक अभिनंदन ?

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