वाह वाह क्या बात है Self Respect Waah Waah
वाह री - वाह - वाही की तमन्ना ?
हास्य को हास्य में लीजिये ?
आज मेरे एक परम मित्र ने मुझे एक कहानी सुनाई ! कहानी किसी के भी ऊपर लागू हो सकती है ?लेकिन , मैं नहीं चाहता कि मेरा कोई मित्र दुःखी हो , इसलिए मैंने अपने ऊपर तोड़ - मरोड़ कर ओढ़ ली है !
एक हंसमुखी राजा थे ! उनका , अपने इलाके यानि फेसबुक में बहुत दबदबा था और वो 238 रियासतों यानि ग्रुप्स के मालिक यानि एडमिन जो थे ! उनके साथी एडमिन भी दबंग थे जैसे ही राजा के खिलाफ कोई सदस्य कुछ बोलता उसे तुरंत "ब्लॉक" कर देते थे , न रहे बांस और न बजे बांसुरी , बस राजा की वाहवाही में ही समय कट रहा था और साथी एडमिन भी सर जी - सर जी करके हमेशा राजा का साथ देते थे ! एक दिन राजा अपने साथियों के साथ शिकार करने गए , राजा ने अचूक निशाना लगाया लेकिन पक्षी भी कम चालाक नहीं था , वो यू टर्न लगाकर बच गया , गोली उसको छूती हुयी निकल गयी , लेकिन सब साथी तो एक साथ वाह- वाही करने में लगे थे , पक्षी अभी भी उड़ रहा था , लेकिन अब बोलें तो, क्या बोलें ??? तभी एक दिमागी साथी पक्षी की तरफ देखकर चिल्लाया !
" कितना बेशरम पक्षी है , साले को गोली लग गयी फिर भी नहीं टपक रहा है , राजन , " आप " चलिए , हम उस बेशरम की डेड बॉडी को अभी ठिकाने लगाकर आते हैं !
मोरल :- किसी की , इतनी भी वाह वाही न कीजिये की उसको वाह - वाही सुनने की गलत आदत न लग जाए ? बस .........हमारा काम हो गया है ?शुभ रात्रि !
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