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हास्य हंसमुखी इंटरव्यू :-
हंसमुखी चैनल का इंटरव्यू ? भाग - एक !
आज एक चैनल के पकाऊ पत्रकार हमारे घर पधारे !हमने आवाज़ लगायी , इन्हें स्टूल देना जरा !
पत्रकार ( गुस्से से ) :- क्या ? यही इज्ज़त रह गयी है अब हमारी ? स्टूल पर , सोफे पर नहीं ?
हमने कहा " बेटा , तुम लोगों के आचरण देखकर मन करता है कि तुम्हें तो जमीन में गाड़ दें लेकिन हमारी टाइल्स जरा महंगी वाली हैं !
पत्रकार सिटपिटाते हुए बोला :- इंटरव्यू ले लें कि सटक लें ?
हमने हँसते हुए कहा :- अगर कुछ भी अंट - संट पूछा तो " ब्लॉक " कर देंगे यह ध्यान रखना , चलो पूछो ?
पत्रकार :- आप " हंसमुखी " कैसे बने ?
हम :- अबे ! तुम तो ऐसे पूछ रहो , जैसे लूलन देवी से पूछा गया था कि वो डाकू कैसे बनी ??? ऐसा कुछ भी नहीं है , हमारे हास्य गुरु श्री अटल जी ने हमें उपनाम दिया था तब से बने बैठे हैं !
पत्रकार :- क्या आपको नहीं लगता कि आपने भी रोबर्ट वढेरा की तरह फेसबुक के पांच सौ से अधिक ग्रुपों में अपना कब्ज़ा किया हुआ है ?हम :- भाई ! कोई जबरन अपने प्लाट की रजिस्ट्री में हमारा हिस्सा लगा दे , वो भी हमसे बिना पूछे तो हम क्या कर सकते हैं ? पको अब ?
पत्रकार :- वैसे तो आप सुबह, दोपहर, शाम और रात में फेसबुक का डोज लेते रहते हैं लेकिन सोते समय क्या करते हैं ?
हम :- अबे ! गधे , सोता कौन है यहाँ ?? नींद लगती है तब फेसबुक के आगोश में और जब नींद खुलती है तब भी उसकी ताजगी के संग ! अच्छा , अब तुम फूट लो भाई , कल आना तब फिर पकाना , अभी ये पोस्ट चिपकानी है ?
अगर आपके मन में भी कुछ आढे - तिरछे सवाल आ रहे है तो जरूर पूछिए ? जवाब आगे की किश्तों में दिया जाएगा ?
शुभ रात्रि !
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