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एक अद्भुत हंसमुखी 'गोलगप्पा' ध्यान-विधि...!
प्रथम चरण – गोलगप्पे को अपने पूरे जोश और होश से उठायें, और ह्रदय की गहराई से यह महसूस करें –
गोलगप्पे के आवरण के बाहर भी शून्य व्याप्त है, और गोलगप्पे के भीतर भी..!
दूसरा चरण – फिर गोलगप्पे में अति सावधानी और प्रेम से बीचों बीच में छेद करें – और गोलगप्पे के बाहर के शून्य और गोलगप्पे के भीतर के शून्य के महामिलन का इंतजार करें...!
तीसरा चरण – फिर गोलगप्पे में आनन्द-रुपी आलू तथा छोले डालें, और उसमें प्रेम-रुपी खट्टा-मीठा-पानी डाल कर – बंद आँख से इन सभी मिश्रण का रसास्वादन करें...!
अंतिम चरण – ज़िन्दगी के इस खट्टे-मीठे अनुभव को अपने पेट की में गहराई से उतर जाने दें......! बस अंत में एक साहित्यिक बात बतानी रह गयी कि इस बीच आपकी नाक बह निकले तो ? इधर देखें , उधर देखें , फिर चुपके से पोंछ लें ।
हँसते रहें , हंसाते रहें ।
प्रथम चरण – गोलगप्पे को अपने पूरे जोश और होश से उठायें, और ह्रदय की गहराई से यह महसूस करें –
गोलगप्पे के आवरण के बाहर भी शून्य व्याप्त है, और गोलगप्पे के भीतर भी..!
दूसरा चरण – फिर गोलगप्पे में अति सावधानी और प्रेम से बीचों बीच में छेद करें – और गोलगप्पे के बाहर के शून्य और गोलगप्पे के भीतर के शून्य के महामिलन का इंतजार करें...!
तीसरा चरण – फिर गोलगप्पे में आनन्द-रुपी आलू तथा छोले डालें, और उसमें प्रेम-रुपी खट्टा-मीठा-पानी डाल कर – बंद आँख से इन सभी मिश्रण का रसास्वादन करें...!
अंतिम चरण – ज़िन्दगी के इस खट्टे-मीठे अनुभव को अपने पेट की में गहराई से उतर जाने दें......! बस अंत में एक साहित्यिक बात बतानी रह गयी कि इस बीच आपकी नाक बह निकले तो ? इधर देखें , उधर देखें , फिर चुपके से पोंछ लें ।
हँसते रहें , हंसाते रहें ।
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