hansmukhiji ka interview part IV

हंसमुखी इंटरव्यू पार्ट IV


हास्य को हास्य में लीजिए :-

हमने पहले ही खिड़की में से झांक लिया कि वो पगला पत्रकार हमारे घर आ रहा है , हम जूते छुपा रहे थे और उसने देख लिया !
बोला :- ये क्या सर जी , हमको जूता चोर समझा है क्या ?
हम :- नहीं भाई , बात ऐसी है कि जब हमसे कोई अंट-शंट सवाल पूछता है तो आजकल जूते मारने का मन करता है , अब तुम रोज - रोज जूते कैसे खा सकते हो ?
पत्रकार :- वाह , आप तो ISIS से भी ज्यादा धमका रहे हैं ?
हम :- उनका तो एक ग्रुप है , हमारे यहाँ ढेरों ग्रुप हैं , कहाँ तक लोगों को समझाएं कि भाई ये मत करो , वो मत डालो , बस अपना तो एक ही उसूल है , " गलत बात " = सीधे ब्लॉक !
पत्रकार :- आपको क्या लगता है फेसबुक और व्हाट्सऐप क्यों बने हैं ?
हम :- इतना तो रात दिन जागने वाला उल्लू भी समझ जायेगा कि सिर्फ प्रोफाइल पिक्चर और DP चेंज करने के लिए नहीं बने हैं , लेकिन हमारा मानना है कि हलके फुल्के मनोरंजन के लिए बने हैं ?
लेकिन आज कल बहुत से  ग्रुप अपना धंधा चमका रहे हैं , सभी सिमट कर मोबाइल में घुस गए हैं और कुछ दिन में तुम्हारा टीवी चैनल डब्बा रह जायेगा तब बेचना पकौड़े ?
पत्रकार :- पकौड़े से याद आया कि आप के हास्य पकौड़ों की दुकानों में आजकल मिलावटी तेल से बनी पोस्टों की महक आती रहती है , क्या कहना चाहेंगे " आप " ?
हम :- भाई , दिन भर उसी कढ़ाही में पकौड़े तलना पड़ता है , तुम पत्रकारों का क्या है गुनाहों की चर्चा करके अपना खर्चा निकाल लेते हो ? जहाँ दुनिया ही मिलावट की हो वहां हमने भी थोड़ी सी कर ली तो कौन सी तुम्हारी पूँछ दब गयी जो कूं कूं करने लगे ?
पत्रकार :- सर जी , एक सलाह है आपके लिए मानोगे क्या ?
हम :- बको अब जल्दी से अगर मानने लायक हुयी तो नहीं मानेंगे और न मानने लायक हुयी तो रख लेना अपने पास ?
पत्रकार :- यही तो आपको सलाह देनी थी , आपके हंसमुखी चैनल के लाखों फालोवर हैं , अगर आप राजनीति में आ गए तो एक आध जगह से सांसद तो बन ही सकते हैं .....एक मिनिट ...अब ये आप क्या ढूंढने की कोशिश कर रहे हैं ????
हम :- बेटा , जूता ही ढूंढने जा रहे हैं , तुमको पहले ही समझाया था कि फालतू की चोंच खोली तो पड़ेगी दम्बूक की गोली , अब रोज की तरह अपना पजामा सम्हालो और सिमट लो जल्दी से और हाँ एक बात और सुन लो , यहाँ फेसबुक और व्हाट्सएप के ग्रुपों की राजनीति सम्हाल सम्हाल के पके जा रहे हैं और तुम देश की राजनीति का रायता फ़ैलाने की जुगाड़ में लगे हो ! आखिरी बात तुम भी जाते – जाते टपका लो कि आगे से राजनीति की बात की , तो पॉलिश वाले जूते से इतने पड़ेंगे कि तुम्हारे चेहरे की चमक से ही पूरा शहर चमकेगा , समझे ??

नोट :- भाग लिया पट्ठा , लेकिन पूरी उम्मीद है कि कल जरूर आएगा ? तब तक के लिए ... ॐ शांति !

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