शादी अपने आप मैं अनूठी ? latest funny shadi
***** शादी ******
वैसे तो हर शादी अपने आप मैं अनूठी होती है पर कुछ बातें एक जैसी होती है ....बैंड वाले का " ये देश है वीर जवानों का ...फेरे से पहले दोनों तरफ के पंडितों कि शास्त्र सम्मत बहस ....उपहारों के लेनदेन को लेकर बरातिओं का असंतुष्ट होना आदि आदि ..
आइये शादी के कुछ अनूठे किरदारों पर प्रकाश डालते हैं
हर एक शादी मैं आपको एक शख्स आपको " उजड़े चमन " सा ...दो तीन मोबाइल लिए सारे इंतज़ाम देखता हुआ अति व्यस्त मिल जाएगा आप इसे शादी के इस महापर्व का " इवेंट मेनेजर" कह सकते हैं ....अच्छा जी इस शख्स मैं एक विशेष किस्म कि " केजरिआ फीलिंग " होती है कि जो यह कह रहा है और कर रहा है बस वो ही सही है... अगर यह न होता तो शादी ही न हो पाती|
हर शादी मैं कुछ सजी धजी महिलाएं जरुर दिख जाएँगी " मिनीक्वीन टाइप " ..ये हर दो तीन घंटे मैं आपको " नई " साड़ी और ज्वेल्लरी मैं दिखेंगी ..बार बार अपना मेकअप सही करती मिलेंगी | पति कि जेब से गायब किये गए पैसों के सहारे इनके पास आपको हर शेड कि लिपस्टिक , आई लाइनर और " लिपाई - पुताई " के सारे साजो -सामान और औज़ार मिल जायेंगे | इसी कारण ज्यादातर कुंवारी लड़कियां इन्ही के इर्द -गिर्द " पायी " जाती है | अपने साज श्रृंगार से अगर फुर्सत मिलती है तो ये आपको दूसरी महिलाओं को संवारती मिल जाएँगी |
हर शादी मैं एक न एक महिला ऐसी होती है जिसे हर चीज़ मैं कमी नज़र आती है .." बुराई -बुराई " खेलना इनका सबसे बड़ा "शादी -धर्म" होता है ....ओफ्फो कितनी गर्मी है ....हमारी पिंकी कि शादी मैं तो हमने A .C रूम बुक कराये थे ...ये भी कोई " बटौना " बांटा है बदायूं वाली ने .." बित्ती भर कि कटोरी" ...हमने तो " ये बड़े - बड़े भगौने " बांटे थे ....बताओ पटकापुर वाली " पट्टो चाची " को आये पांच मिनट हो गए है चाय तो छोड़ो किसी ने अब तक उनसे पानी कि भी नहीं पूछा ...ये भी कोई कचोरी बनी है ..कुल मिलाके शादी मैं आने के लिए बार - बार पछ्तायेंगी पर वापस जाने का नाम भी नहीं लेंगी |
लाख DJ या ओरक्रेस्टा हो लेकिन असली मज़ा तो शादी के पारम्परिक गीतों मैं ही आता है | हर शादी मैं आपको गले में एक "अलग किस्म कि उषा उथ्थप" लिए एक " मंगलगीत गायनी" जरुर मिलेगी जिसके बिना संगीत कि महफ़िल नहीं जमती | जहाँ जाएँगी " मैडम " तुरंत ढोलक सम्भाल लेंगी ..जब ये मुखड़े का आगाज़ करती है तब ही बाकि महिलाएं कोरस का रूप दे पाती हैं | गाते गाते बगल वाली महिला कि " ढोलकिआ नज़र" भांप कर ये बगल वाली को ढोलक थमा के दो चार ठुमके भी लगा लेती है लेकिन इनके बिना महिलाओं को मज़ा नहीं आता इसलिए उस महिला को हटना पड़ता है और फिर से इन्हे ही कमान संभालनी पड़ती है |
हर शादी मैं दादी या नानी इकलौता ऐसी प्राणी होती है जिन्हे हर " रीति - रिवाज़ कि प्रमाणिक " जानकारी होती है | मंडप के सामने कुर्सी डाले इनके छोटे बड़े निर्देश बाकी सब महिलाओं को मानने पड़ते हैं ......मुरैना वाली मुन्नी बुआ को बुलाओ हमारे यहाँ पहली हल्दी छोटी बुआ ही लगाती है ....
टीकमगढ़ वाली चलो अब तुम टीका करो ..ध्यान रहे मुँह पूरब कि तरफ कर के करना ....अरी ये महाराजगंज वाली महारानी कहाँ मर गई ...सजे धजे से फुर्सत मिल गई हो तो आके मौड़ी (लड़की) को महावर लगा दे .....कोई पन्नालाल को भेज दो पांच जोड़ी डंडी वाले पान और ग्यारह सुपारी ले आये ...शगुन कि थाली मैं रोली चावल नहीं रखे ..तुम लोगों से तो एक काम भी ढंग से नहीं होता
किसी भी शादी में जब तक " जीजा और फूफा " फ़ैल के पसड़ न काटे कोई शादी पूरी नहीं हो सकती
इनके रूठने का अंदाज़ भी कुछ अलग ही होता है | समोसा पूछो तो ढोकला चाहिए ....ढोकला दो तो मलाई गिलोरी ....कार मैं बैठा दो तो हमे सब के साथ बस मैं बैठना था यहाँ अकेले बैठा दिया .....बस मैं बैठा दो तो " लो हमारी तो कोई इज़ज़त ही नहीं है सबके साथ लाद दिया बस मैं " हर थोड़ी देर मैं पत्नी के सामने बड़बड़ाते मिल जायेंगे कि " कभी इन्हे हमारे घर आके देखना चाहिए कि दामाद कि खातिरदारी कैसे कि जाती है ? मैं तो कल ही लौट जाउंगा ....तुम आती रहना | अच्छा इनकी पत्नी भी जानती है कि ये बगैर शगुन का लिफाफा , सोने कि अंगूठी और सूट पीस लिए बगैर नहीं जायेंगे |
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