रियो ओलम्पिक का हंसमुखी सपना !

रियो ओलिंपिक में पदक न मिलने के कारण सपने में भी हताश होना पड़ रहा है , हास्य को हास्य में लीजियेगा , रात को साढ़े तीन बजे हंसमुखी सपना आया कि (युगपुरुष ) कजरी सर जी , रियो ओलंपिक में पहुँच कर , सोढ़ी जी का पुराना " फेंकने" का रिकॉर्ड तोड़ने में लगे हैं और उन्होंने खींच कर भाला भी फेंका लेकिन हाय री किस्मत वो भाला वफ़ादार था , सर जी का भाला और " यू - टर्न " न ले , ऐसा हो नहीं सकता ...... इधर कजरी बाबू ने देखा कि भाला पलट कर आ रहा है ....भागे पलट कर .....लेकिन निशाना लक्ष्य पर लग चुका था और तालियों की गड़गड़ाहट के साथ पहला पदक सर जी की झोली में ! अरे ! लेकिन उनकी भी तो सुनिये कि चिल्ला चिल्ला क्या कह रहे हैं कि " ये सब सोढ़ी जी की चाल है ! " मुझे देश के लिए पदक नहीं चाहिए बस ! उधर सोढ़ी जी भी हॉकी के स्टेडियम में खड़े हैं और " पाकिस्तान अधिकृत पदक भी अब हमारा है " के जुमले लगवा रहे हैं ! पहलवानों के रिंग के पास खड़े होकर चिल्ला रहे हैं मेरे " पलीत " पहलवानों को मत मारो लगे तो मुझे मार लो ? वैसे आपको बता दूँ कि ऐसे सपने , 80 % फेक होते हैं !
आगे का हाल शाम को :- मैं नरेंद्र , कैमरा परसन आशुतोष के साथ !
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